*सभी को देश की प्रथम महिला शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले जी की जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं*
*✍️ सत्ता के दम पर जनता का काम करने वाले हजारों देखे होंगे,पर अपनें दम पर जनता का काम करनें वाले विरले ही होते हैं..इसी में से एक शख्सियत का नाम है, माता सावित्रीबाई फुले..*
✍️ देश की अकल्पनीय, अद्भुत, अतुलनीय, अनुकरणीय, महिलाशक्ति, नारी शिक्षापुंज, परम सम्माननीया, परम आदरणीया, परम पूज्यनीया, परम श्रद्धेया......
*माता सावित्रीबाई फुले को शत - शत नमन🙏💐
* आइए विभिन्न रूपों में माता सावित्रीबाई फुले के विराट जीवन पर एक नजर डालते हैं :----*
*✍️ जन्म ::* महाराष्ट्र के सतारा जिले के नयागांव में पिताश्री खंडोजी नेवसे के परिवार में माताश्री लक्ष्मीबाई की पावन कोख से विलक्षण पुत्री सावित्रीबाई का जन्म 03 जनवरी, 1831 को हुआ।
*✍️ शादी ::* होशियार सावित्रीबाई का विवाह 09 वर्ष की अल्पायु में सतारा के गोविंदराव फुले व चिमणाबाई फुले के 13 वर्षीय नाबालिग होनहार बेटे ज्योतिबा फुले के साथ 1840 में हुआ।
*✍️ शिक्षा ::* महामना महात्मा ज्योतिबा फुले नें अपनें जीवनसाथी को शुरुआत में खेत में आम के पेड़ के नीचे बालू मिट्टी पर पढ़ाना शुरू किया और उसके बाद धार्मिक व्यवस्था का विरोध करके बाजाप्ता नाम लिखवाकर माता सावित्रीबाई फुले को आठवीं तक शिक्षा दिलवाई।
*✍️ देश में महिला शिक्षा का आगाज ::* देश की प्रथम शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले ने भारत में रूढ़िवादी परम्पराओं के विरूद्ध महिलाओं को शिक्षा देने का आगाज 01 जनवरी, 1848 को किया जिसका धर्म के ठेकेदारों ने जमकर विरोध किया, परन्तु माता सावित्रीबाई फुले के अदम्य साहस के आगे उनकी एक ना चली। प्रथम छात्राओं के रूप में अन्नपूर्णा जोशी (5 वर्ष), सुमति मोकाशी (4 वर्ष), दुर्गा देशमुख (6 वर्ष), माधवर धते (6 वर्ष), सोनू पँवार (4 वर्ष) और जानी करडिले (5 वर्ष) नें विद्यालय में दाखिला लिया।
*✍️ मजदूर शिक्षा ::* मजदूरों को शिक्षा देनें के लिए माता सावित्रीबाई फुले नें रात्रिकालीन विद्यालयों का संचालन भी किया।
*✍️ वंचितों के लिए शिक्षा का सैलाब ::* महात्मा ज्योतिबा फुले और माता सावित्रीबाई फुले ने पिछड़ों-महिलाओं के लिए 71 शिक्षण संस्थान खोलकर शिक्षा जगत में क्रांति का बिगुल बजा दिया।
*✍️ देश का प्रथम प्रसूति गृह ::* समाज सेविका सावित्रीबाई फुले नें बाल हत्या और बाल विधवा हत्या को रोकनें के लिए देश में पहला अवैध प्रसूति केन्द्र खोलकर बालिकाओं और विधवा का जीवन बचानें का साहस किया। विदित हो कि रूढिवादी परम्पराओं के अनुसार बच्चियों का जन्म अशुभ माना जाता था और विधवाओं को असामाजिक तत्व गर्भवती कर देते थे। ऐसी महिलाएं वहाँ अपनें बच्चों को जन्म देकर सुरक्षित हो जाती थीं।
*✍️ अछूतों के लिए कुआँ खुदवाया ::* जाति व्यवस्था इतनी अमानवीय थी कि अछूतों, शोषितों, गरीबों के लिए सार्वजनिक कुओं से पानी भरना बिल्कुल मना था। वो दूसरों की दया पर निर्भर थे। ऐसी निंदनीय व्यवस्था को ठोकर मारकर जलदायनी सावित्रीबाई फुले नें जातिवादियों के भारी विरोध को दरकिनार करके वंचितों के लिए अलग से कुआँ खुदवाकर साफ जल की व्यवस्था की।
*✍️ सफाई कर्मियों का सामाजिक सुधार ::* माता सावित्रीबाई फुले नें सफाई कर्मियों के सामाजिक, स्वास्थ्य और स्वच्छता संबंधी सुधार के लिए भी काम किया। अवकाश के दिन उनके घरों पर जाकर जानकारी लेती थी और उनके बेहतर जीवन के लिए काम करती थी।
*✍️ अकाल पीड़ितों की पालनहार ::* 1876-77 में पूना में भयंकर अकाल पड़ा था। उस अकाल से प्रभावित लोगों की मदद के लिए अपनें पति महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ धनाढ्य लोगों से चंदा लेकर जरूरतमंदों को आवश्यक सामग्री का वितरण करती थी तथा 52 अन्न राहत शिविर खोले थे।
*✍️ विधवा कल्याण कार्य ::* हिंदू धर्म में विधवाओं की स्थिति बहुत दयनीय थी। उनका पुनर्विवाह मना था। उनके सिर के बाल काट दिये जाते थे। जिसका माता सावित्रीबाई फुले नें विरोध किया और नाइयों को विधवाओं का मुंडन नहीं करने के लिए मना करवा दिया।
*✍️ विधवा विवाह व बहुजन विवाह ::* अपनें क्रांतिकारी जीवन साथी के साथ मिलकर बिना ब्राह्मणों के बहुजन व पुनर्विवाह करवाना शुरू किया।
*✍️ उचित हिस्से के लिए नाइयों की हड़ताल::* ब्राह्मण नाइयों से बाल कटवाने के अलावा निमंत्रण भी दिलवाने का कार्य करवाते थे, परन्तु उनका उचित हिस्सा नहीं देते थे, तो इसके लिए माता सावित्रीबाई फुले नें अपनें पति महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर नाइयों की हड़ताल की और उन्हें उनका उचित हिस्सा दिलवाना शुरू करवाया।
*✍️ शराब विरोधी आंदोलन चलाया ::* गरीब, मजदूर लोग शराबखोरी में रिश्वतखोर हाकिमों के शिकार हो जाते थे और परिवार परेशान होते थे। जिसके विरोध में भी माता सावित्रीबाई फुले ने सफलतापूर्वक आंदोलन चलाया था।
*✍️ साहित्यकार ::* शिक्षिका सावित्रीबाई फुले नें अपनें लोगों के मार्गदर्शन करने के लिए साहित्य का भी सृजन किया।
*✍️ परिनिर्वाण ::* अंततः महान समाज सेविका माता सावित्रीबाई फुले का 1897 में प्लेग की महामारी के पीड़ितों की सेवा करते हुए 10 मार्च, 1897 को परिनिर्वाण हो गया।
*✍️ माता सावित्री बाई फुले को शत्-शत् नमन और उनकी जयंति की सभी सम्मानित साथियों को हार्दिक बधाई....जागो मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों जागो, मूलनिवासी बहुजन समाज के महानायकों एवं महानायिकाओं केसंघर्षपूर्ण जीवन से सीख लेकर उनके अधूरे मिशन को पूरा करनें का संकल्प लेकर आगे बढ़ो।*
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