Tuesday, 27 February 2024

NATIONAL SCIENCE DAY- 28 FEBRUARY ( KNOW ABOUT THE SIGNIFICANCE OF THE DAY & THE PERSONALITY OF THE DAY- SIR C.V. RAMAN)


National Science Day is celebrated on 28 February each year to mark the discovery of the Raman Effect by Sr. CV Raman. He was given the Nobel Prize in Physics in 1930 for his research on The Raman Effect. This day highlights the importance of science and its significance in our day-to-day life. The National Council for Science and Technology Communication (NCSTC) popularises science in India. And so, in 1928, it was the NCSTC who proposed the idea of rewarding 28 February as the National Science Day Celebration.

About Sir. CV Raman


Chandrasekhara Venkata Raman was born an extraordinarily intelligent child. He matured at an unusually early age. He completed his bachelor’s degree with honors in physics just at the age of 16. And published his first paper based on the diffraction of light while he was still graduating. He has won many medals and has achieved a lot of recognition. Some of his prestigious awards include:

AwardsWhich YearWhy
Curzon Research Award in 19121912He received this award while working in the Indian Finance service. This award was given during Lord Curzon’s rule
Knight Bachelor Award in 19301930His involvement in the 1929 Birthdays Honors was delayed. So, as an approval Lord Erwin conferred him with this award in the Rashtrapati Bhawan.
Nobel Prize in Physics1930For his research on the scattering of light and the discovery of the Raman effect.
The Bharat Ratna Award1954He received the highest Civilian Award.
Lenin Peace Prize1957This award was given to the prominent supporters or Communists of the Soviet Union.


His most popular discovery was the Raman effect.


About The Raman Effect



The Raman Effect is the scattering of light particles by molecules of a medium. Let us understand this with an example. Why does the ocean appear blue despite the water being colourless? It’s due to the Raman effect. The sunlight consists of 7 colours – Violet, Indigo, Blue, Green, Yellow, Orange, and Red (VIBGYOR). The ocean water is able to absorb green, yellow, orange, and red colours. But it scatters violet, indigo and blue. So the colourless water in the ocean appears to be blue. This phenomenon is the Raman effect.

FAQ's on National Science Day 2024

Q1. What is the special on February 28?

February 28 is celebrated as National Science Day in India to commemorate the discovery of the Raman Effect by Indian physicist Sir C.V. Raman on this day in 1928.


Q2. Who declared National Science Day?

National Science Day was declared by the Government of India upon request from the National Council for Science and Technology Communication (NCSTC) in 1986.


Q3. When was the first National Science Day celebrated?

The first National Science Day was celebrated on February 28, 1987.


Q4. Why was 28 February declared as National Science Day?

February 28 was declared National Science Day to mark the discovery of the Raman Effect by Sir C.V. Raman, for which he was awarded the Nobel Prize in Physics in 1930.


Q5. What is the main objective of National Science Day?

The main objective of National Science Day is to spread the message of the importance of science and its application among the people, to encourage scientific mindedness, and to foster a scientific temperament in society.

 

NATIONAL SCIENCE DAY- TEST YOUR KNOWLEDGE

 

Friday, 23 February 2024

संत रविदास के सबसे प्रसिद्ध दोहे व अनमोल विचार, जो काफी चमत्कारी हैं।


1)  कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा

वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा

अर्थ : राम, कृष्ण, हरि, ईश्वर, करीम, राघव सब एक ही परमेश्वर के अलग-अलग नाम हैं. वेद, कुरान, पुराण आदि सभी ग्रंथों में एक ही ईश्वर की बात करते हैं, और सभी ईश्वर की भक्ति के लिए सदाचार का पाठ पढ़ाते हैं।

2)  ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन,

पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीण

अर्थ : किसी व्यक्ति को सिर्फ इसलिए नहीं पूजना चाहिए क्योंकि वह किसी ऊंचे कुल में जन्मा है. यदि उस व्यक्ति में योग्य गुण नहीं हैं तो उसे नहीं पूजना चाहिए, उसकी जगह अगर कोई व्यक्ति गुणवान है तो उसका सम्मान करना चाहिए, भले ही वह कथित नीची जाति से हो।

3)  जा देखे घिन उपजै, नरक कुंड में बास

प्रेम भगति सों ऊधरे, प्रगटत जन रैदास

अर्थ : जिस रविदास को देखने से लोगों को घृणा आती थी, जिनके रहने का स्थान नर्क-कुंड के समान था, ऐसे रविदास का ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाना, ऐसा ही है जैसे मनुष्य के रूप में दोबारा से उत्पत्ति हुई हो।

4)  कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै

तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै

अर्थ : ईश्वर की भक्ति बड़े भाग्य से प्राप्त होती है. यदि आदमी में थोड़ा सा भी अभिमान नहीं है तो उसका जीवन सफल होना निश्चित है। ठीक वैसे ही जैसे एक विशाल शरीर वाला हाथी शक्कर के दानों को नहीं बीन सकता, लेकिन एक तुच्छ सी दिखने वाली चींटी शक्कर के दानों को आसानी से बीन सकती है।

5)  करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस

कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास

अर्थ : आदमी को हमेशा कर्म करते रहना चाहिए, कभी भी कर्म के बदले मिलने वाले फल की आशा नही छोड़नी चाहिए, क्‍योंकि कर्म करना मनुष्य का धर्म है तो फल पाना हमारा सौभाग्य।

6)  मन चंगा तो कठौती में गंगा

अर्थ : जिस व्यक्ति का मन पवित्र होता है, उसके बुलाने पर मां गंगा भी एक कठौती (चमड़ा भिगोने के लिए पानी से भरे पात्र) में भी आ जाती हैं।

7)  मन ही पूजा मन ही धूप,

मन ही सेऊं सहज स्वरूप

अर्थ : निर्मल मन में ही ईश्वर वास करते हैं, यदि उस मन में किसी के प्रति बैर भाव नहीं है, कोई लालच या द्वेष नहीं है तो ऐसा मन ही भगवान का मंदिर है, दीपक है और धूप है। ऐसे मन में ही ईश्वर निवास करते हैं।

8)  हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस

ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास

अर्थ : हीरे से बहुमूल्य हैं हरि। यानी जो लोग ईश्वर को छोड़कर अन्य चीजों की आशा करते हैं उन्हें नर्क जाना ही पड़ता है।

9)  रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच

नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच

अर्थ : कोई भी व्यक्ति किसी जाति में जन्म के कारण नीचा या छोटा नहीं होता है, आदमी अपने कर्मों के कारण नीचा होता है।

10)  जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात,

रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात

अर्थ : जिस प्रकार केले के तने को छीला तो पत्ते के नीचे पत्ता, फिर पत्ते के नीचे पत्ता और अंत में कुछ नही निकलता, लेकिन पूरा पेड़ खत्म हो जाता है। ठीक उसी तरह इंसानों को भी जातियों में बांट दिया गया है, जातियों के विभाजन से इंसान तो अलग-अलग बंट ही जाते हैं, अंत में इंसान खत्म भी हो जाते हैं, लेकिन यह जाति खत्म नही होती।


संत रविदास जी के एक और अनमोल विचार है, "सबको समान न्याय मिलना चाहिए।" इस विचार से उन्होंने समाज में भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाया था। उन्होंने समाज को समानता के मार्ग पर लाने के लिए लगातार प्रयास किए थे। इसलिए, संत रविदास जी एक महान संत थे जिन्होंने समाज के लिए अनेक महत्वपूर्ण संदेश दिए थे।

  • जो कुछ करता है, वह उसी का होता है।
  • सब रंगों से मिलकर एक रंग बन जाता है।
  • जीवन का अभिन्न अंग संदेह है।
  • अपने आप से लड़ने से ही असली जीत होती है।
  • जो सत्य का पालन करता है, उसे कभी भी डर नहीं होता।
  • ईश्वर की अस्तित्व की निश्चितता से कोई भी नहीं वंचित हो सकता।
  • सम्पूर्ण मानव जाति में कोई भी उच्च या निम्न नहीं होता।
  • सत्य के मार्ग पर चलना सबसे बड़ी उपलब्धि है।
  • एकता में ही संपूर्ण विश्वास है।
  • सभी धर्म एक ही सत्य की ओर ले जाते हैं।
  • दूसरों की बुराई करना छोड़ दो, स्वयं में सुधार करो।"
  • सब जगह है तेरा नाम, इस बात को कोई न जाने।"
  • जो दीन होता है, वही सत्य होता है।"
  • जीते जी तो यही सोचो, मरते जी तो यही सोचो।"

संत रविदास जी के अनमोल विचार हमें ईश्वर के प्रति श्रद्धा का भाव रखने और अपने कर्मों के लिए जवाबदेह होने का संदेश देते हैं।

गुरु रविदास जयंती ( विशेष पठन)

 


गुरु रविदास संत एक महान कवि होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थे। उन्होंने अपने जीवन काल में समाज में फैली कई बुराईयों और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने समाज की उन्नति के लिए कई महत्वपूर्ण योगदान भी दिए हैं जो सराहनीय हैं।

माना जाता है कि रविदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक मोची परिवार में हुआ। संत रविदास के जन्म को लेकर कई मत हैं। लेकिन उनके जन्म को लेकर एक दोहा प्रचलित है जो इस प्रकार है - "चौदस सो तैंसीस कि माघ सुदी पन्दरास. दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री गुरु रविदास"

इस दोहे के अनुसार माघ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन संत रविदास का जन्म हुआ था। इसलिए प्रत्येक वर्ष इसी तिथि पर गुरु रविदास जयंती मनाई जाती है।


"The Prime Minister, Shri Narendra Modi today addressed the 647th Birth Anniversary of Sant Guru Ravidas in Varanasi. At the Sant Guru Ravidas Janmasthali temple at Seer Govardhanpur near BHU, the Prime Minister inaugurated the newly installed statue of Sant Ravidas in adjoining Ravidas Park."



महत्वपूर्ण योगदान

रविदास जी द्वारा 15 वीं शताब्दी में चलाया गया भक्ति आंदोलन उस समय का एक बड़ा आध्यात्मिक आंदोलन साबित हुआ। इस आंदोलन ने समाज में कई बड़े बदलाव लाने का काम किया। उन्होंने अपने जीवन में कई गीत, दोहे और भजनों की रचना की जो मानव जाति को आत्मनिर्भरता, सहिष्णुता और एकता का संदेश देने का काम करते हैं।इन्होंने समाज से जातिवाद, भेदभाव और सामाजिक असमानता के भाव को हटाकर भाईचारे और सहिष्णुता का भाव अपनाने के संदेश दिया। गुरु रविदास जी ने शिक्षा के विशेष जोर दिया। प्रसिद्ध संत मीराबाई भी रविदास जी को अपना आध्यात्मिक गुरु मानती थीं।

 रविदास जी की 41 कविताओं को सिखों के पवित्र ग्रंथ यानी गुरुग्रंथ साहिब में शामिल किया गया है।

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