गुरु रविदास संत एक महान कवि होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थे। उन्होंने अपने जीवन काल में समाज में फैली कई बुराईयों और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने समाज की उन्नति के लिए कई महत्वपूर्ण योगदान भी दिए हैं जो सराहनीय हैं।
माना जाता है कि रविदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक मोची परिवार में हुआ। संत रविदास के जन्म को लेकर कई मत हैं। लेकिन उनके जन्म को लेकर एक दोहा प्रचलित है जो इस प्रकार है - "चौदस सो तैंसीस कि माघ सुदी पन्दरास. दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री गुरु रविदास"
इस दोहे के अनुसार माघ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन संत रविदास का जन्म हुआ था। इसलिए प्रत्येक वर्ष इसी तिथि पर गुरु रविदास जयंती मनाई जाती है।
"The Prime Minister, Shri Narendra Modi today addressed the 647th Birth Anniversary of Sant Guru Ravidas in Varanasi. At the Sant Guru Ravidas Janmasthali temple at Seer Govardhanpur near BHU, the Prime Minister inaugurated the newly installed statue of Sant Ravidas in adjoining Ravidas Park."
महत्वपूर्ण योगदान
रविदास जी द्वारा 15 वीं शताब्दी में चलाया गया भक्ति आंदोलन उस समय का एक बड़ा आध्यात्मिक आंदोलन साबित हुआ। इस आंदोलन ने समाज में कई बड़े बदलाव लाने का काम किया। उन्होंने अपने जीवन में कई गीत, दोहे और भजनों की रचना की जो मानव जाति को आत्मनिर्भरता, सहिष्णुता और एकता का संदेश देने का काम करते हैं।इन्होंने समाज से जातिवाद, भेदभाव और सामाजिक असमानता के भाव को हटाकर भाईचारे और सहिष्णुता का भाव अपनाने के संदेश दिया। गुरु रविदास जी ने शिक्षा के विशेष जोर दिया। प्रसिद्ध संत मीराबाई भी रविदास जी को अपना आध्यात्मिक गुरु मानती थीं।
रविदास जी की 41 कविताओं को सिखों के पवित्र ग्रंथ यानी गुरुग्रंथ साहिब में शामिल किया गया है।
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